अनोखा प्रसाद! जिसे खाने से पूरी होती है बच्चे की मुराद

लिंग रूप में भगवान शिव की पूजा तो कई जगह पर होती है लेकिन मां शक्ति की लिंग रूप में पूजा होते आपने कहीं नहीं देखा होगा। क्या आपको पता है कि छत्तीसगढ़ के
अलोर गांव की एक पहाड़ी पर स्थित एक अनोखे मंदिर में मां शक्ति की लिंग रूप में पूजा होती है। यहां के लोगों का मानना है कि इस लिंग में भगवान शिव और शक्ति दोनों
समाहित हैं इसलिए दोनों की एकसाथ पूजा होती है।
इस मंदिर की एक और अनोखी विशेषता यह है की यह साल में सिर्फ एक बार भक्तों के दर्शन के लिए खुलता है। एक दिवसीय पूजा के उपरांत मंदिर का दरवाजा बंद कर दिया जाता है और बाहर रेत डाल दी जाती है। एक साल बाद जब मंदिर खुलता है तो रेत पर बने चिन्ह से अनुमान लगाया जाता है कि आने वाला साल कैसा रहेगा। लोगों का कहना है कि कमल चिन्ह हो तो धन संपत्ति में बढ़ोतरी होती है।
इस मंदिर में निःसंतान दंपत्ति विशेष रूप से दर्शन के लिए जाते हैं और उनकी मांगी गई मन्नत देवी जरूर पूरी करती हैं। छत्तीसगढ़ के लिंगई गट्टा पहाड़ी पर माता लिंग रूप में एक गुफा में वास करती हैं। लिंग की ऊंचाई औसतन 2 फीट है। माना जाता है कि पहले इस लिंग की ऊंचाई इतनी नहीं थी लेकिन समय के साथ-साथ ये बढ़ती जा रही है।
इस मंदिर में प्रवेश करना मुश्किल है क्योंकि इसका प्रवेश द्वार बहुत ही छोटा और तंग है। भक्तों को लेटकर अथवा घूटने के बल बैठकर मंदिर में प्रवेश करना पड़ता है।
हालांकि अंदर इतना खुला स्थान है की 25 से 30 लोग एकसाथ देवी की पूजा कर सकते हैं। मन्नत मांगने आए भक्त देवी को खीरे का प्रसाद चढ़ाते हैं।
पंडित जी पूजा करने के बाद संतान प्राप्ति की इच्छा से आए दंपत्ति को उनका खीरा लौटा देते हैं। फिर नाखून से खीरे को दो भागों में बांटकर तोड़ा जाता है। एक-एक हिस्सा लिंग के समक्ष ही पति-पत्नी खा लेते हैं। ऐसा करने से निःसंतान दंपत्ति को संतान अवश्य प्राप्त होती है।